STORYMIRROR

डॉअमृता शुक्ला

Others

4  

डॉअमृता शुक्ला

Others

गौरैया

गौरैया

1 min
284

तिनका -तिनका जोड़कर ,तुमने पेड़ पर बनाया बसेरा।हर मौसम से तुम्हें बचाकर,सुरक्षित रखता है ये बसेरा।


तुम जान लेती अँधेरा छट गया।तुम समझ जाती चाँद छुप गया।अपनी खुशी सबको बताती हो,कलरव कर हमको जगाती हो,शीतल हवा संग आवाज़ देती,आँखें खोली हो चुका है सवेरा।


आँसमां के छोरों तक विचरती। पंख फैला ऊँचाइयों में उड़ती।खेत,आँगन में फुदकती खुशी से,दाने चोंच में इक्ट्ठा करती यहीं से।नन्हे बच्चों को यही खिलाना हैखिला के फिर से लगाना है फेरा।


शाम होने लगी दिन ढले है,सब संगी -साथी उड़ चले हैं।सबको घोंसले में है पहुँचना,बस रात भर का है झपकना।ये ही अपना प्यारा ठिकाना,ये ही अपना सुरक्षित है डेरा ।


Rate this content
Log in