एक सच तुम वाकिफ ह़ो उससे
एक सच तुम वाकिफ ह़ो उससे
एक सच तुम वाकिफ़ हो उससे
हर घर , गली शहर ,मोहल्ले गलियारों में
कहीं तो गलती हो रही है..
एक अलख जगाओ अब तो जाग जाओ,
जोमैटो नहीं जमकर घर का खाओ।
बिसलरी, एक्वा नहीं मगर घर का पानी पीकर लेकर जाओ।
पैसों को नहीं ,अपनों को अपना बनाओ।
रिश्ते - नाते घर-घर नित पल टूट रहे
लोग लूट कर लुटा कर तमाशा बन रहे
पहले उन्हें बचाओ।
किटी पार्टी , केवल दोस्तों में नहीं बच्चों के साथ समय बिताओ।
वरना गुमराह होंगे खुले इंटरनेट में
सब सहज ही खो देंगे खेल ही खेल में
एक अलख जगाओ ..राम न सही
इंसान को इंसान तो बनाओ।।
हर घर , गली शहर मोहल्ले गलियारों में
कहीं तो गल्ती हो रही है..
एक अलख जगाओ
अब तो जाग जाओ।।