एक मीरा बनना होगा
एक मीरा बनना होगा
जज्बात
खामोश हो जाते हैं अक्सर
जब उन्हें सुनने वाला कोई नहीं होता
जो कोई उनके जज्बातों को नहीं
समझता
एक दिन फिर
एक दुखद मोड़ पर
वह भी उनके जज्बातों की कदर करना बंद
कर देते हैं
नहीं सुनते उनकी कही कोई बात
हर बात पर बिना सुने हां करते हैं
बहस नहीं करते और
उन्हें अपने जीवन के
उनके साथ घटित
एक कटु लंबे अनुभव के आधार पर
अपने पास से मुस्कुराते हुए
कोई विवाद खड़ा हो
उससे पहले रवाना कर देने में ही
अपनी भलाई समझते हैं
कुछ लोग ऐसा प्रतीत होता है कि
आपकी बातों को सुन रहे हैं लेकिन
ऐसा अधिकतर नहीं होता
उन्हें अपने मन का गुबार निकालने के
लिए कोई चाहिए होता है तो
वह थोड़ी बहुत आपकी बातों को
आधा अधूरा सुन लेते हैं
आजकल किसी से
अपने जज्बातों को
पूरी तौर पर जो नहीं बांट पा
रहे तो
लोग भटक रहे और
तरह तरह के उपाय अपना रहे
लेकिन सब व्यावसायिक है
और व्यर्थ
समय और पैसे की बर्बादी
कई बार तो समझ नहीं आता कि
अपने मन के भावों की अभिव्यक्ति
के लिए
कहां जायें
अभिव्यक्ति के अभाव में
कहीं घुट घुटकर ही न मर जायें
जज्बात का होना तो
मन के भीतर
निरंतर चलती एक आंधी है
यह तो एक बहती नदी का
तेज वेग है
इसे बहने के लिए
रास्ता चाहिए
रुकावटें मार्ग में अधिक हुई तो
यह बिखर जायेगी
जज्बातों को
रहने के लिए एक घर चाहिए
एक खुली खिड़की चाहिए
जहां से लगातार ताजी हवा आती
रहे
एक दरवाजा चाहिए जो उसके
स्वागत में हमेशा खुला रहे
कोई तो चाहिए जो उसको
प्यार से गले लगाये और
उसको बखूबी समझ सके
ऐसा संभव न हो पाये तो
एक मीरा बनना पड़ेगा
कृष्ण की भक्ति में
लीन होना पड़ेगा
भगवान को अपना
आराध्य मानकर
संपूर्ण जीवन उनके चरणों में
समर्पित करके
अपने जज्बातों को
एक कोरे कागज पर
भक्तिभाव से
जर्रा जर्रा
कतरा कतरा
लम्हा लम्हा
तन्हा तन्हा
मोती मोती
लफ्जों के रूप में
उड़ेलकर
एक प्रेम की माला में
पिरोना ही होगा।