एक कप
एक कप
एक कप चाय हो,
प्रियतम का साथ हो,
हाथ में अखबार हो,
गुनगुनी धूप हो,
मखमली अहसास हो,
पक्षियों का कलरव हो,
शीतल मंद बयार हो,
और एक कप चाय हो।
ऊर्जा का संचार करती
कितना सुखद एहसास है यह,
बागानों की नरम पत्तियां
किन हाथों से गुजरती है
सब की कितनी मेहनत से
यह हम तक पहुंचती हैं,
सोचा है कभी इनके बारे में
किन हालातों में ये रहते हैं?
तंग हाल जीवन जीने को मजबूर
कुपोषण के शिकार इनके बच्चे होते हैं,
रसायनों के असुरक्षित छिड़काव से
तमाम बीमारियों से घिरे रहते हैं ।
बाल मजदूरी कानूनन अपराध है
फिर भी दिन रात काम करते है
न्यूनतम मजदूरी से भी कम वेतन पाते,
यह इतने कष्ट सहकर
एक कप चाय हम तक पहुंचाते हैं।
हमारा क्या कर्तव्य है इन के लिए
संगठित हो इनके अधिकारों
के लिए आवाज उठाएं,
इनका जीवन भी हम खुशहाल करें
अपने एक कप चाय का आनंद उठाएं।