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एक हैं आसमान तो एक जमीन है ।

एक हैं आसमान तो एक जमीन है ।

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एक है आसमान तो एक जमीन है मेरी

एक जहां है मेरा तो एक जिंदगी है मेरी

पहचान है मेरी, मेरे अक्स का वजूद है

मैं कुछ भी नही उनके बिना

हाँ मुझे ये कबूल है।

पिता से छाँव मिली औऱ

माँ से मिला आंगन मुझे।

किस्से कहानियों में मिली

इस दुनिया की पहचान मुझे

उंगलियों को थाम कर सीखा है

सँभल कर चलना मैंने

उनकी डांट से सीख जिंदगी की मिली।

कभी डगमगाने लगी ये जिंदगी

तो हिम्मत की चाबी मिली।

कभी रूठना सीखा तो

कभी मनाने की चाह मिली।

इंसान के रूप में खुदा की मूरत मिली



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