एक दीवाने सा टूटता जा रहा हूँ
एक दीवाने सा टूटता जा रहा हूँ
अब खुद ही मैं टूटता जा रहा हूँ
या जमाने से छूटता जा रहा हूँ
मुझको तो खुद की खबर नही है
मैं एक दीवाने सा टूटता जा रहा हूँ।
ख़ुशी मैंने भर-भर के लोगों को है बांटी
कभी खुद भूखा रहा दूसरों को खिलाई है रोटी
अब किस मंजर की पुरानी बनावट को तकता जा रहा हूँ
मैं एक दीवाने सा टूटता जा रहा हूँ।
न मुझको अपनी खबर थी रहती
न गम की थी कभी नदी बहती
हो मुझमें चाहे जितने दर्द उनको
चुप-चाप सह कर मैं मुस्कुराता जा रहा हूँ
मैं एक दीवाने सा अब टूटता जा रहा हूँ।
मुझे पता नहीं शायद,किसी का दिल दुखाया होगा
उसे आंसुओ की बारिश में भीगने को छोड़ आया होऊंगा
पर मुझे खबर नहीं रही होगी उस गुजरे लम्हें की
तो शायद उस भूल के लिए आज रोता जा रहा हूँ
मैं एक दीवाने सा अब टूटता जा रहा हूँ।
मैंने अनजान राहियों को रास्ता है दिखाया
हर टूटे हुए दिलों को अपने खुशियों से है छुपाया
जब बात आई अपने दिल की
तो खुद ही ग़मों में डूबता जा रहा हूँ
मैं एक दीवाने सा अब टूटता जा रहा हूँ
अब खुद ही मैं टूटता जा रहा हूँ।