एक बुरा ख्वाब
एक बुरा ख्वाब
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मोड़ के मुंह वो गया था जब
दिल मेरा तोड़ गया था तब,
अपने बिखरे टुकड़ों को अब
खुद ही समेट रही हूं मैं,
मन में ठान लिया है कि
खुद पे तरस ना खाऊंगी,
एक बुरा सा ख्वाब समझ के,
उसको भुला रही हूं मैं
पीछे ना भागूंगी किसी के,
लक्ष्य मैं अपना खोजूंगी
सफल बनाने को जीवन का,
अर्थ तलाश रही हूं मैं II
