STORYMIRROR

Ajay Singla

Others

5.0  

Ajay Singla

Others

दूरदर्शन से डिश टीवी तक

दूरदर्शन से डिश टीवी तक

2 mins
772



चालीस साल पहले की बात है जब हमारे घर टीवी आया था,

ब्लैक एंड वाइट था पर पूरे घर ने जश्न मनाया था


बार बार टी वी को ऑफ आन करते थे

एक शटर भी था जिसको हम लॉक करते थे


दिन में दो तीन बार उसको साफ़ करते थे,

फिर संभाल कर कपड़े से ढक के रखते थे


शुरू शुरू में प्रोग्राम कम आते थे।

शाम पांच बजे शुरू होते थे, उससे पहले ही हम बैठ जाते थे


कई बार तो घंटों कृषि दर्शन ही देख पाते थे,

जब चित्रहार आता था तो पड़ोसी भी आ जाते थे


कभी कभार जब कोई फिल्म टीवी पे आती थी,

तो खाने की टेबल भी वहीं पे लग जाती थी


कुछ साल बाद पापा एक रंगीन स्क्रीन ले आये,

हीरो का मुँह कभी पीला तो कभी लाल हो जाए


मम्मी पापा भी बच्चों को दूसरे घरों में टीवी देखने भेज देते थे,

कुछ बच्चे तो बहार झरोंखे से ही पूरी मूवी देख लेते थे


टीवी इतना बड़ा था कि बहुत सी शोपीस उसपे रक्खी होती थीं ,

उस वक़्त तो टीवी की भी चार टाँगे हुआ करतीं थीं


टीवी का सिग्नल भी अक्सर घटता बढ़ता रहता था,

साफ़ पिक्चर के लिए ऐन्टेना को हिलना पड़ता रहता था


फिर धीरे धीरे हम कलर टीवी लगाने लगे,

प्रोग्राम भी पूरा दिन आने लगे


केबल टीवी आने पे तो वो देखो जिसका दिल है,

इतने प्रोग्राम हैं की चुनना मुश्किल है


अब डिश टीवी है और छतों पे छत्रिओं का अम्बार है,

प्रोग्राम तो प्रोग्राम, चैनल भी अपार हैं


अब टीवी पे साथ देने के लिए भीड़ नहीं, बस बीवी है,

सब की अलग अलग पसंद है, अपना अपना टीवी है


वो पुराने लम्हे हमें अब भी बहुत भाते हैं,

दूरदर्शन की वो ट्यून कभी सुन लेते हैं तो पुराने दिन याद आ जाते हैं



Rate this content
Log in