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Jyoti Jethmalani

Others Tragedy

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Jyoti Jethmalani

Others Tragedy

दुल्हन

दुल्हन

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अब मैं दुल्हन नहीं बन सकती किसी की,

मैं औरत हो चुकी हूँ।

कहाँ है मुझ में एक दुल्हन सी नाज़ाक़तें

और कहाँ बाकी हैं मुझ में जुनून

फिर से किसी की हो के रहने का

बाकी नहीं अब मुझ में शर्माने की अदाएँ

और बाकी नहीं किसी को रिझाने की कोशिशें


आँखें नहीं देखती अब ख़्वाब

के मैं किसी के घर की शोभा बनूँ

और दिल भी कहाँ खाली है नए रंगीन

सपनों के रंग भरने को

मैं अब औरत हो चुकी हूँ

मेरे हाथों में लकीरें आ गयी हैं

मेरे बीते वक़्त की नज़ाकत नहीं आती मुझे अब ,

बेबाक सी हो गयी हूँ

मैं अब औरत हो चुकी हूँ


शर्माना किसी से या रिझाना किसी को,

अब कैसे समझूँगी मैं

मैंने ये सारे फ़लसफ़े जी कर देख लिए हैं

मैंने किसी के रंगों में ढलना और

उसके जैसी होना सिख लिया था

अब कैसे खाली होगा भला ये दिल

उन बदरंग रंगों के निशानों से जो

उसने कभी सींचे थे मेरे दिल के कोने कोने में

मैं भला क्या नई दुनिया बसाउंगी

मैं अब क्या किसी की दुल्हन बन पाऊँगी ।





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