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Bhoopal Kishore

Others

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Bhoopal Kishore

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दोस्तों को अब नजराना कहां....

दोस्तों को अब नजराना कहां....

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दोस्तों को अब नजराना कहां....

कृष्ण और सुदामा जैसा अब दोस्ताना कहां,

न वो हिचक, न वो तंदुल का छिपाना कहां ,

हो गए हैं बेगाने अब सब दोस्त ,

मर गई है अब गैरत , हर मासूम सूरत की,

उड़ गए हैं होश मासूमियत के फसाने के,

लाज को उड़ाना कहां है और छिपाना कहां,

दोस्तों ने ही कालिख पोत दी है दोस्ती के चेहरे पर,

मिट जाना कहां है और मुस्कराना कहां,

हो गए हैं बेगाने अब सब दोस्त ,

दोस्तों को अब नजराना कहां...


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