दोहे
दोहे
1 min
403
बेटी होती है परी, बेटी रखती मान।
घर में उजियारा करे, सबका है सम्मान।।
कागा और कोयल हैं, दोनों का रंग भाय।
मीठे सुर लगते भले, कटु सुर सहा न जाय।।
ममता का सागर रहे, दुख में भी मुस्काय।
सबके सपनों में सदा, अपने सपन सजाए।।
प्रीत भरोसा जब रहे, घर संगम बन जाए।
छल प्रपंच से दूर हो, सुख-शांति मिल पाए।।
नयन वाचाल बन रहें, होंठ जब भेद छुपाए
मन चाहे क्या कहना, उन तक जा पहुँचाए।
बुरा समय न रहे सदा, मन काहे घबराय।
धैर्य कभी न छोडिये,विपदा कैसी आय।।
