STORYMIRROR

Ajay Singla

Children Stories

4  

Ajay Singla

Children Stories

दो पीढ़ीओं की दास्ताँ

दो पीढ़ीओं की दास्ताँ

2 mins
145

हम उस पीढ़ी से हैं जब डांट के साथ

पापा का थप्पड़ ज़रूर मिलता था। 

फिर माँ से एक लड्डू और चेहरा

फिर से खिलता था। 


जब स्कूल में शरारत करने पे

मुर्गा बनना होता था। 

स्टूल पे खड़े हो के कान

पकड़ना होता था। 


पापा के साथ स्कूल के लिए उंगली

पकड़ के चलना आम बात थी। 

अध्यापक के आने पे सहम जाना

एक आम बात थी। 


अक्सर सब लोगों के ४-५

बहन भाई होते थे । 

गर्मियों में एक पंखे के आगे

लाइन बनाकर सोते थे। 


मोहल्ले में एक ही टीवी था ,

चित्रहार का इंतजार रहता था। 

पूरा मोहल्ला एक साथ देखता था,

इतना प्यार रहता था। 


वीडियो कैसेट चलने पर तो

शादी जैसी भीड़ को देखा है। 

हमने तो उसे दूसरी छत

पर खड़े होकर भी देखा है। 

 

आज की पीढ़ी में एक या

दो बच्चे ही होते हैं। 

कार में स्कूल जाते हैं,

ए.सी में सोते हैं। 


बच्चों को डांटना तो एक

गुनाह हो गया है। 

हमारा बच्चा बच्चा नहीं ,

जहाँपनाह हो गया है। 

 

कान में जब इयरफोन है

तब बाहर की दुनिया मौन है। 

हर बच्चे के पास अपना

एंड्राइड फ़ोन है। 


पर बुड्ढे माँ बाप को जब कोई

अकेला छोड़ जाता है। 

अंदर से दिल दुखता है

बहुत गुस्सा आता है। 


जिसमे अभी भी अच्छे

संस्कार हैं वो महान है। 

ये ही इन दो पीढ़ीओं की

पूरी दास्ताँ है। 



Rate this content
Log in