दो हमसफर
दो हमसफर

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जीवन की राह पर
जब-जब गिरता हूँ
तब पिता की कही बातें
याद करता हूँ
जब चलते-चलते
थक जाता हूँ
तब माँ के हाथ-पैरों को
याद करता हूँ
सच कहूँ तो
माँ और पिता
दोनों
मेरे साथ-साथ चलते हैं।