दिन होगा कायामत का
दिन होगा कायामत का
बन्द कर दो तुम दिखावा ज़िन्दगी मे अपनी शराफ़त का।
होगा हिसाब इक दिन तेरा भी वो दिन होगा कायामत का।।1।।
अभी भी वक़्त है तौबा कर ले तू अपने सारे गुनाहो की।
ऐसा ना हो कि हर रास्ता बन्द हो जाए तेरी हिदायत का।।2।।
वह पढ़ता है अक्सर नमाजें तन्हाइयों मे जाकर तन्हा।
चमक जो है उसके चेहरे पर वो नूर है खुदा की इबादत का।।3।।
वह मुलाजिम है बड़ी कोठी का जानता है सबके राज।
उसको पता है कोठी के हर शक्स की सारी अदावत का।।4।।
होगी ताजपोशी उनकी वो लड़कें है सारे सियासत दानों के।
सबको पता है आता नही है उनको क ख ग सियासत का।।5।।
कोई समझा दे उस गरीब को वापस ले लेअपनी रपट शिकायत की।
यहाँ जिन्दगी मिट जाती है पर फैसला नही आता अदालत का।।6।
