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Abhishek Singh

Others

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Abhishek Singh

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दिल..,एक पहेली!

दिल..,एक पहेली!

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अक्सर उनकी यादें आंखों से

अश्रु बन बह जाते हैं

उसी पल दिल में घर कर,

लबों पे मुस्कान भी ला जाते हैं।


दिलो-दिमाग़ में अजब सी हलचल होती है

आँखे रो कर होंठों पे मुस्कान छोड़ जाती हैं

एक असमंजस में दिमाग़ पड़ सा जाता है

दिमाग़ भी ख़ुद को असहाय सा पाता है।


दिल के इस चाल को न पढ़ पाता है

जब दो भाव चेहरे पे एक साथ आ जाता है

दिल इस चाल को अक्सर दोहराता है

दिमाग़ बार-बार मात खा जाता है

इस प्रकार रो-रो के हँसना आ जाता है।


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