दीवाली के दीयों की रोशनी
दीवाली के दीयों की रोशनी
संभाल के समेटना इन दियों को
सारी रात हमें रोशनी देने के लिए
खुद की तपिश में जलती रही।
दियों की ज्योति,
चिरागों को बहलाती रही,
दियों की ये ज्योति
दियों को एक राह दिखाती रही,
दियों की ये ज्योति
दियों में विश्वास की ज्योत जगाती रही,
दियों की ये ज्योति
रंगोली पर बिखेरे फूलों पर महकती रही।
उन्हीं फूलों को गुलशन बनाती रही।
दियों की ये ज्योति
खुद को गुरूर की लौ को डगमगाती रही
दियों की ये ज्योति कसमसाती रही
राही को राह दिखाती रही
दिलों में प्यार की लौ जगाती रही
रौशनी फैलाती रही।
जिस घरों में अंधेरों की काली छाया थी
उस घर में भी रोशनी फैलती रही।
ज्योति से हिनदुस्तान की धरती को
चकाचौंध करती रही।
कमज़ोर रिश्तों को भी
रौशनी से मजबूत बनाती रही।
