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Vijay Kumar parashar "साखी"

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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देश के लिए कुछ करना है

देश के लिए कुछ करना है

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बस मेरी एक ही आख़री तमन्ना है

इस देश के लिये मुझे कुछ करना है

जब तक चल रही है ये मेरी सांसे,

मुझे भारतदेश को बहुत उन्नत करना है।

आज सुरसा का मुहं हो गया छोटा है,

देश मे भ्रष्टाचार हो गया बहुत मोटा है

इन भ्रष्टाचार की ईंटो में मुझे छेद करना है।

जानता हूं,मेरा रास्ता शूलों से भरा है

पर दिल मे जज़्बा भी बहुत बड़ा है

राह के हर शूल को मुझे फूल करना है।

सच तो हमेशा अकेला ही होता है

झूठ तो हमेशा मीठा करेला होता है

झूठ के आइनो को मुझे बेनकाब करना है।

इस देश के लिये मुझे कुछ करना है

नेताओं का काम इस देश मे अलबेला है

चोरी वो करते है,हमें बताते चोरी का थैला है

मुझे नेताओं के झूठ को उजागर करना है।

बहुत काला धन जमा कर लिया है इन्होंने

मुझे उस कालेधन को हिन्द का पैसा करना है,

गद्दार बनकर दीमक से जो देश को चाटते है

उन नमक हरामो का फांसी तक पग करना है।

समाज में फैली कुरीतियां बहुत हैं

ज्ञान से ज़्यादा फैला अज्ञान बहुत है

मुझे अंधविश्वास को सूरज से ख़ाक करना है।

ऐ मेरे ख़ुदा इतना बाजुओं में,मेरे भरना दम,

मैं झुकुं नहीं, मैं कभी रुकूं नहीं

मुझे हर क्षण ही इस देश की सेवा करना है

सांस का हर सुमन देश तुझे अर्पित करना है।

बस मेरी एक ही आख़री तमन्ना है

इस देश के लिये मुझे कुछ करना है।



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