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V. Aaradhyaa

Children Stories

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V. Aaradhyaa

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दादी की कहानी की परी

दादी की कहानी की परी

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ज़ब छुटपन में प्यारी दादी लोरी गाती थीं ;

तब हमें परियों के देश तक घुमा लाती थीं !


जब हम क़िस्से कहानियाँ सुना करते थे ;

तब हम सब रात रात भर जागा करते थे !


ढूंढक़र फिर वो वक्त कौन ला सकता है ;

सच,बचपन का जमाना बहुत याद आता है !


जब हम बच्चे मासूम और भोले भाले थे ;

वो प्यारे बचपन के दिन कितने मतवाले थे !


वो सुंदर- सुंदर गुड्डे -गुड़ियों का खेला था ;

तब जीवन तो ख़ुशियों का एक मेला था !


ज़ब हम छुट्टी में नानी,दादी के घर जाते थे ;

सब मिलकर सारी खुशियाँ संग ही मनाते थे !


नाचती थी ज़ब गाँव के मेले में कठपुतली ;

हमें खूब भाती थी तब रंग-बिरंगी तितली !


आंगन में घनेरे आम,कटहल के पेड़ होते थे ;

जब कोयल कुकती और भंवरे गुनगुनाते थे !


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