दादी का बचपन
दादी का बचपन
1 min
179
आज है कल भी रहेगा
हमारा और तुम्हारा अफ़साना सबको याद रहेगा।
जब भी मिलते थे हम कहीं
गाड़ी की छत पर बैठकर
सब को छेड़ते थे कहीं।
जब खेलते थे गली क्रिकेट यही
तोड़ते थे घर की खिड़कियां सभी।
कर्फ्यू लगा कर बैठते थे मोहल्ले में
गुंडे बन के फिरते थे, गलियों में सभी।
घर घर जाकर खाते थे खाना
सब कहते थे कृष्ण नहीं,
राधा की टोली ने है आना।
अब छोड़ दी है हमने वह गलियां सभी
पर आज भी और कल भी लोग याद रखेंगे हमें सभी।
