STORYMIRROR

Sumit. Malhotra

Others

3  

Sumit. Malhotra

Others

चुपके-चुपके से।

चुपके-चुपके से।

1 min
219

चोरी-चोरी चुपके-चुपके से वो आई, 

बनाना हमें जिसे हक़ीक़त में लुगाई। 


चोरी-चोरी हमने भी अखियाँ लड़ाई, 

ख़्वाब देखते हैं कब बजेगी शहनाई। 


चोरी-चोरी चुपके-चुपके नींद गंवाई, 

कितनी रातें सच कि नींद नहीं आई। 


सुबह उठके हमें वो जब नज़र आई, 

दिन बढ़िया और रात चैन नींद आई। 


चुपके-चुपके से वो छत पर ही आई, 

चुपके से बातें करके ही रातें बिताई।


Rate this content
Log in