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RAJESH KUMAR

Children Stories Inspirational

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RAJESH KUMAR

Children Stories Inspirational

चर्चा

चर्चा

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काम काज की चर्चा

खाने-पीने पर चर्चा 

रोजमर्रा की चर्चा 

जैसे ,सूरज को ढलना 

फिर वही,अग्नि उगलना।

 

जैसे बच्चों का जगना 

जाना स्कूल ,दूर सुबह

फिर टीचर की चर्चा 

उस चर्चे पर घर पर चर्चा।


सपने देखने पर चर्चा 

सजने सवरने पर चर्चा 

पार्लर पर ब्यूटी पर चर्चा

तब बजट हो तगड़ा!


किसान खेती पर चर्चा 

जवान की दुश्मन पर चर्चा

मंत्री की जनता से चर्चा 

पत्नी की पति से मंत्रणा।

 

बच्चे ना हो तो चर्चा,ना हो!

हो जाए तो चर्चा पर चर्चा

शादी से विवाह पर चर्चा

लायक बनने पर चर्चा।

 

शादी विवाह पर चर्चा

जवानी के किस्सों के चर्चे

बुढ़ापे की आहट के चर्चे

डॉक्टरों के संपर्कों के चर्चे।

 

अपने सपनों के चर्चे 

हुए नहीं पूरे उनके चर्चे

बच्चों को सुधारने की चर्चा

नहीं कर पाए ,उस पर चर्चा

वक्ताओं के तर्क वितर्क के चर्चे ।


टीवी की डिबेट पर चर्चा 

व्हाट्सएप ,फेसबुक पर चर्चा

इंस्टाग्राम ,मीडिया पर चर्चा

इधर से उधर की चर्चा।


चर्चाओं से ही दिखती है 

बनती भी है ,बिगड़ती भी

मान सम्मान पद प्रतिष्ठा,

दिशा ,दशा ,गति ,संगति।


अतिसुखद हो चर्चा

जरूरी है,इसके लिए

गुरुजनों के साथ चर्चा

सदजनों के साथ चर्चा

गीता रामायण परिचर्चा।।

 


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