चलो गाँव की ओर
चलो गाँव की ओर
1 min
176
बैठे बैठे सोचा और पत्नी से बोला,
चलो प्रिये, इस गगनचुंबी शहर को
छोड़ अपने गाँव को चलते हैं हम,
पैसा तो खूब कमा लिया है मैंने,
पर अपनी सेहत का खिलवाड़
बहुत किया अब तक हम तुम ने,
चलो गाँव अपने प्रकृति की गोद,
ठंडा-ठंडा निर्मल जल, ताल-तलैया,
शीतल-शीतल मंदम वायु और
पर्यावरण में हम घूमेंगे-फिरेंगे,
धरती माँ का कर्ज चुकाने हम,
सादा जीवन हम अपनायेंगे,
पद-प्रतिष्ठा, मान और दौलत,
न करिश्मा ही काम आयेगा।
