चले गए !!!
चले गए !!!
क़रार दिल की खोते चले गए,
सुकुने क़ल्ब के लिए रोते चले गए।।
जब हुए तो खुश्क हो गई आंखें,
और इन आँखों को मलते चले गए।।
आह!! क्यों मुंतशिर अपनी आदतों पर
जो दर्द दिल में छुपाते चले गए।।
दस्ताने ग़म जिसे हम सुनाने गए,
क्या पता के सुनाते चले गए।।
भर गई आंखें हुए ग़म बेशुमार,
के जिसको हर घड़ी सहते चले गए।।
ज़िंदगी तो नाम है मौत बन गई
के जिसमें हर घड़ी मरते चले गए।।
देख जुदा राह को ये तै कर लिया,
पाके सीधी राह गुज़रते चले गए।।
कर दिया ख़ाना-बदोश इस जहाँ ने मुझे,
और इस जहाँ से हम अकेले चले गए।।
आजीज़ हुए ज़िंदगी से कैसे गुज़र गए,
आह! करते करते गुज़रते चले गए।।
कम ज़िंदगी है जो गुज़रे जमीँ पर,
बाकी जो हयात हैं चलते चले गए।।
जो कहा कर दिया जो न कहा कर गए,
बस इसी काम को करते चले गए।।
बेदार होते तो पता चलता क्या हुआ,
हम तो ख़्वाब-ए-ग़फ़लत में सोते चले गए।।
ख्वाहिशे दीद ने मुझे बेचैन कर दिया
फ़िर जब मिले तो मिलते चले गए।।
मायूस होकर गुज़ारदी अपनी सारी जिंदगी,
और जब गए तो हँसते चले गए।।
बात थी अर्शद बस एक शेर लिखने की
फ़िर क्यों ये ग़ज़ल लिखते चले गए।।
क़रार दिल की खोते चले गए,
सुकुने क़ल्ब के लिए रोते चले गए।।