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J P Raghuwanshi

Others

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J P Raghuwanshi

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"चिन्ता"

"चिन्ता"

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चिंता कबहु न कीजिए,

चिंता चिता बना देती।

अच्छी खासी ज़िन्दगी में,

गेहूं में घुन-सा लगा देती।


जीवन तो क्षणभंगुर,

एक दिन सबको जाना है।

फिर काहे को करै फिकर,

सभी यही रह जाना है।।


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