चिड़िया
चिड़िया
मानव सपने हैं कुछ मेरे भी
भूल न जाना मुझको तुम
लेकर पिंजड़ा सोने का
क़ैद न करना मुझको तुम ।।
छोटे- छोटे, बच्चे मेरे
हरदम रहते मुझको घेरे
दाना लाकर उन्हें खिलाती
डरना मत, अहसास दिलाती
चीं-चीं चूं-चूं शोर मचाते
हरदम मुझको पास बुलाते
छोड़ उन्हें मैं, दूर नहीं हूं जाती
दाना लेकर ही वापस आती
जब,कभी कुछ नहीं मिलता
तो उनकी चिंता मुझे सताती
यदि, संग मेरे वे भी आते जाते
और खोज के, दाना खुद खा पाते
तो मैं भी निश्चिंत हो खुश हो
डाली पर ही मीठा गाना गाती
हरा -भरा यह उपवन प्यारा
है जग में सबसे सुंदर न्यारा।