STORYMIRROR

pawan punyanand

Others

3  

pawan punyanand

Others

चिड़िया

चिड़िया

1 min
370

तुमने देखा है,सुबह

जब उगते सूरज के साथ,

गीत गाती है ,चिड़िया।

और कैसे डूबते सूरज के साथ

चहचहाती है, चिड़िया।

ओस की वो बूँद,

जो पड़ी होती है ,पत्तों पर

कैसे उससे खेलती है ,चिड़िया।

रंग बिरंगे आसमान में,

जब उड़ती है ,वो चिड़िया।

पंख फैलाये अपनी आजादी का

जश्न मानती है , चिड़िया।

दाने की खोज में कितनी दूर

जाती है ,चिड़िया।

और कुछ खा कुछ ला कर कैसे,

अपने बच्चों को दाना खिलाती,

है ,चिड़िया।

घोसलें बनाने में दिन -रात

तिनका तिनका कैसे,

चुनती है ,चिड़िया।

कभी, ध्यान से सुनना

गाते उनको,

मन को कितना सुकून

पहुंचाती है ,चिड़िया।

रोज सुबह जब मैं जगता,

आँगन में मेरे दौड़ लगाती होती

है ,कुछ चिड़िया।

आपस में ही दाना खाने कैसे ,

लड़ती रहती है ,चिड़िया।

फिर भी अपनो को कभी

नहीं सताती है ,ये चिड़िया।

रंग बिरंगे सुन्दर- सुन्दर

कितनी लुभाती, ये चिड़िया।

प्रकृति की सुंदरता

को है ,बढ़ाती चिड़िया।

हम सबों के कारण ही

मर रही ,घर अपना खो रही ,

है ,चिड़िया।

आओ विचारो,प्रकृति की सुंदरता

है, ये चिड़िया।



Rate this content
Log in