चिड़िया
चिड़िया
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मेरी मुंडेर (खिड़की)पर तेरा आना
कभी अकेले तो कभी साथियों के साथ आना
क्यों मुझे इतना भावुक करता है?
यूँ तेरा मुंडेर पर आना
दाना चुग के उड़ जाना
ऐ चिड़िया; मुझे क्यों
तू मुझ सी लगती है?
सोचती हूं मैं अक्सर
तेरा भी कहीं घोसला होगा
दाना पानी की खोज ही
तुझे भी मेरी तरह
घोंसले से दूर ले आई है ।
तेरी आंखों की उदासी
अपनी सी लगती है ।
पर आज यूँ अचानक
तुझ में माँ की झलक नजर आई है
जैसे पुण्य तिथि के दिन वह
मेरा हाल जानने
मेरी मुंडेर पर आईं हैं ।
अब समझ में मुझे आया है
क्यों तू मुझे मुझ सी लगती है
मैं मेरी मां की परछाई हूँ ।
आज तू ने भी माँ की ही
याद दिलाई है
शायद तभी हमेशा तू मुझे
मुझ सी लगती आई है ।