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छुई-मुई की तरह

छुई-मुई की तरह

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रिमझिम- रिमझिम

बारिश की बूंदें

टपक रही हैं

आसमान की छत से

पंछी गा रहे हैं

सात सुरों में

सावन के गीत

घर के भीतर कोई

वियोगिनी

प्रियतम के वियोग में

मुरझा गई है

छुई- मुई की तरह।


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