STORYMIRROR

"छ"

"छ"

1 min
13.4K


"छत" पे खड़े थे देखा, "छोटा" सा सपना 
"छम" से आ गया, "छुटपन" वो अपना 
"छलक" उठी आंखें वो ऐसे 
"छेड़ा" हो यादों, ने हमें जैसे 
धूप में "छाया" के जैसे वो दिन थे 
"छल" था न मन में, न कोई "छलावा"
किसी "छंद" सा सुरमई था जीवन हमारा 
"छत्रपति" सा जीवन बीतना 
"छड़ी" दिखाते मास्टरजी तो डर जाना 
"छीना" जाने क्यूँ "छुटपन" सुहाना 
"छ" से ही है, वो "छरहरा" चितवन हमारा "छटा" वो सावन की जीवन हमारा 
"छूटा" वो जहाँ हमसे ये पूछे 
"छोड़" आये "छबीली" यादें वो हम पीछे
"छत" पे खड़े थे देखा "छोटा" सा सपना 
जगे तो जाना बीत गया है "छुटपन" वो अपना


Rate this content
Log in