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Sarswati Aarya

Others

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Sarswati Aarya

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बुढ़ापे का दर्द

बुढ़ापे का दर्द

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माँ की आँखों पर चश्मा है

पिता के बाल हुए सफेद

बच्चे बचपन से जवान हो गये

आज है मात- पिता को खेद

नन्हा था जब गोदी में आया

उसकी किलकारी ने घर था सजाया

आज मेरी कराह को उसने

अपने कामों में दखल बताया

बेटे की तकलीफ को हरदम

माँ ने अपने जिगर का दर्द बताया

बुढ़ापे की तकलीफ को बेटा

क्यूँ आखिर तू समझ न पाया


पिता की सीख बुरी लगती है

जब बच्चे हो गये जवान

चुप रहिए आप पिताजी 

रहिए जैसे रहते मेहमान

अब माँ ये सोचे पिता ये बोले

औलाद के होने का ये सुख है

न होती तो ही अच्छा था

होने के बाद भी दुःख है

आँसू बहाये या सब सह जाये

आकर तू बोल विधाता

पूत कपूत हो जाता है, पर

माता कैसे बने कुमाता।



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