~ बसंती धूप ~
~ बसंती धूप ~
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हाइकु
01.
बासंती बही
कस्तूरी की गंध सी
उर हर ली ।
02.
बसंती धूप
पलाश के वन में
गयी है रुक ।
03.
चूमा बसंत
महकने लगी है
अब मञ्जरी ।
04.
बसंत आया
हल्की सी सिहरन
आम बौराया ।
05.
घायल करे
बसंत का मौसम
टीस जगा दे ।
06.
फूले पलाश
बासंती गीत गाते
अमलतास ।
