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प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

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प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

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~ बसंती धूप ~

~ बसंती धूप ~

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हाइकु


01. 

बासंती बही

कस्तूरी की गंध सी

उर हर ली ।


02. 

बसंती धूप

पलाश के वन में

गयी है रुक ।


03. 

चूमा बसंत

महकने लगी है

अब मञ्जरी ।


04. 

बसंत आया

हल्की सी सिहरन

आम बौराया ।


05. 

घायल करे

बसंत का मौसम

टीस जगा दे ।


06. 

फूले पलाश

बासंती गीत गाते

अमलतास ।



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