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प्रवीण त्रिपाठी

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प्रवीण त्रिपाठी

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बसंत पर मुक्तक

बसंत पर मुक्तक

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पहन चोला बसंती वीर जनमें रोज घर-घर में

रँगीला रंग केसरिया भरे नव शक्ति रग-रग में

बसंती धुन नवल ऐसी सभी में जोश जो भर दे

तिरंगे की करें रक्षा सिपाही नित्य नभ-जल-थल में


करे प्रेरित सदा हमको निराशा को भगाता है

बसंती रंग इस कारण सभी का मन लुभाता है

हमेशा हिंद की सेना करे अभिमान इस पर ही

तभी तो भाल पर सैनिक खुशी से नित लगाता है


लगे रंगों का नित मेला भरे स्फूर्ति तन-मन में

सजीले पुष्प नव फसलें बढ़ाएं हर्ष जीवन में

तरक़्क़ी देश की होगी अगर खुशहाल है जनता

तभी ऋतुराज खुशियों का करे संचार जन-जन में।


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