बसंत की पहेलियाँ
बसंत की पहेलियाँ
बसंत की धूम मची
चारों ओर हुई खलबली
कोई पीले वस्त्र लाया
तो कोई जाड़े को खदेड़ आया।
मैं भी गई बसंत मनाने
जो रूठे थे उन्हे करीब लाने
सबने मिलकर की अठखेलियाँ
और बूझी बसंत की पहेलियाँ।
जो खेतों को हरा भरा बनाती
एक स्वादिष्ट सब्जी बन सबके
मन भाती
और बसंत आने पर पीले फूल
खिलाती
जो बताये उसके नाम की
बजती तालियाँ।
एक सखी ने सही बताया
सरसों का नाम उसकी जुबाँ पर आया
फिर पूछा दूसरी ने कि बताओ
किनकी पूजा से सजती मिठाई की
ठेलियाँ ?
माँ सरस्वती का नाम तब
तीसरी ने सुझाया
अपने हिस्से का इनाम तब उसने पाया
बूझते रहे सारी रात ऐसी पहेलियाँ
ये थीं बसंत ऋतु की अठखेलियाँ।।
