बरसे रसरंग
बरसे रसरंग
फाल्गुन के सतरंगी रंग अब उड़ने को है
बृज में कान्हा की मस्त टोली घेरन को है
हाय .... मारे लाज के कित जाऊं सखी
के अबीर की लाली मुख पर खिलने को है,
ना हठ ना बरजोरी ना करे कोई जोराजोरी
मस्त मगन हो रास करें संग चलें मधुबन में
प्रीत बसे मन में उल्लास जल पिचकारी में
अंबर धरा रंग बिरंगे के होरी आने को है,
हर रंग की छटा अनूठी भीगे रंग गिरधारी
प्रीत का रंग गहरा लागे भीगे जिसमें चुनरी
मिटने से भी ना मिटे बहे पक्का स्नेह रसरंग
जन जन विश्व में पहुंचाए शांति सन्देश संग,
ऐसी कृपा बरसाओ तुम मुरलीधर घनश्याम
हर आंगन फले फूले सफल हो होली मिलन
मनोकामना पूर्ण हो सबकी हर भक्त प्रसन्न
ग्वाल गोपियां रास करें सब बाजे ढोल मृदंग
"बरसे रसरंग... बरसे रसरंग"
