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Jyoti Verma

Others

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बरगद की छांव

बरगद की छांव

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बरगद की छांव 

ठण्डक से भरी,

सकूँ सा दिलाती,

बन सूत्रधार ,

सबको एक करती।


बरगद की छांव तले

वो माँ से चोरी छुपे

गुड़ चने लाना,

और दोस्तो संग

मिल बैठ के खाना,

हां याद है, आज भी याद है।


बरगद की छांव तले बैठ के,

सब सुख दुख कहना

वो लड़ना झगड़ना

और फिर सब भूल जाना,

बरगद की छांव तले

बैठना और 

हर फिक्र से आज़ाद होना।

याद है ,हां याद है

वो बरगद की छांव।



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