भूमिका
भूमिका


भूमिका जो भी तुमने निभाई
दक्षता सब मे तुमने दिखाई,
जीवन के, अनंत, नील गगन में,
सदैव सजल उषा सी तुम छाई ।
तुमने भूमिका जब जननी का निभाया,
संसार समस्त ने अपना अस्तित्व पाया ।
जब-जब तुम बनकर आई अनुजा,
सहयोगी तुम सा न मिल सका कोई दूजा ।
जब सखी रूप में तुमको पाया,
तभी, मार्गदर्शन सर्वोत्तम मिल पाया ।
फिर तुम प्रेमिका बन कर आई,
जीवन रथी की भूमिका तुमने निभाई ।
जब दायित्व तुमने गृहणी का उठाया,
गृह को तुमने, स्वर्ग सदृश बनाया ।
तुम आई, लेकर अर्धांगिनी की भूमिका,
तुमने, जीवन का हर क्षण सुन्दर बनाया ।
जब तक जग में, है सूर्य प्रकाशित
जब तक चंद्र कर रहा, प्रदान शीतलता,
आवश्यक हो जग को तुम, अंत तक
समय के, तुम पर ही है, अस्तित्व आश्रित ।।