भाईचारे की भावना।
भाईचारे की भावना।
हे प्रभु दो सबको मानवता का ज्ञान,
हम सब तेरे बालक है नादान।
जैसे सूरज को सिखाया प्रकाश फैलाना,
वैसे ही हम सबको सदा चमकाना।
जैसे खूब सुहानी लगती है धूप,
सूरज का भी बदल जाता है रूप।
सदैव रहे साफ-सफाई हमे पसंद,
और सदैव रहे समय के पाबंद।
खेल खेल की तरह खेले हम,
हार-जीत से ना कभी विचलित हो मन।
आपस में सदा रहे मिलकर साथ,
कितना भी झगड़े तो भी ना छूटे हाथ।
सच के पथ पर चले सदैव होकर सदृढ़,
झूठ से पाप से रहे सदैव कोसों दूर।
हम सब है बच्चे आपके सदैव रहे संग हमारे,
सदैव खुश रहे दूर करो दुख और दर्द सारे।
