बेटी
बेटी
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बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ
जैसे बेटे बेटी वैसी,
बेटी आन है बेटी मान है
बेटी मां बाप की शान है,
क्यों बेटी को मारना
क्यों ना बेटी को पढ़ाना?
बेटी है तो घर स्वर्ग है
नहीं तो हर घर नर्क है,
बेटी थी हमेशा आगे
बेटे थे हमेशा भागे,
यह दुनिया क्यों नहीं समझती
कि बेटा बेटी एक समान
बस हम सबकी सोच और समान,
बेटी भी नहीं किसी से कम
बेटों में नहीं है इतना दम,
हर बेटी के भाग्य में होते हैं पिता
पर हर पिता के भाग्य में बेटी नहीं होती,
हर घर की शान है बेटी
चम चम चम चम ताज है बेटी,
दुनिया तो कहती सब कुछ
पर हम यह समझे बेटी नहीं है कोई बोझ।
