बेटी ही बचायेगी
बेटी ही बचायेगी
बेटी घर आयी है किलकारी बनके ,
महका है ये आंगन गुन गुन करके ,
खुशियाँ फैलायी हैं इसने हमारी जिन्दगी में
क्यों इससे नज़रें चुराये हम इस तरह यूँ बन के ।
ये बेटी ही है मेरे तुम्हारे जीवन का आधार
बेटी ही बचायेगी ये सृष्टि, ये संसार ,
बेटी घर की शान है, खुशियों का है ये भंडार l
बेटी त्याग की मूरत है ममता का है वरदान ।
बेटी संस्कारो की खान है, प्रेम का है ये आधार,
बेटी ही बचायेगी ये सृष्टि, ये संसार l
एक हवा के झोंके सी,
सब रोगों की दवाओं सी ,
आंगन में तुलसी सी, पूजा में कलसी सी ,
भक्ति , शक्ति, श्रद्धा , विश्वास का आधार l
भाई की सूनी कलाई, होली, दिवाली सब त्योहार
बेटी ही बचायेगी ये सृष्टि , ये संसार l
कहते हैं बेटियाँ होती हैं परायी सी
जीवन की राहों में उलझी हो तन्हाई सी।
गैरों के बीच अपनों सी होती
सब के दुख को खुद सह लेती
यही परायी बेटियाँ ही एक पराये घर का
आधार ।
बेटी ही बचायेगी ये सृष्टि, ये संसार l
बेटी गर्मी की तपिश है, बेटी ही बरखा की बूँदें ,
बेटी सर्दी की ठंडक सी, बेटी ही बसंत बहार ,
एक बेल की तरह सबको ले के साथ
आगे बढ़ने को तैयार ,
एक घर में जिसकी जड़ हैं,
दूसरे घर में ये फलदार I
बेटी ही बचायेगी ये सृष्टि, ये संसार ,
बेटी ही बचायेगी ये सृष्टि, ये संसार l
