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Nand Lal Mani Tripathi

Others

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Nand Lal Mani Tripathi

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बेरोजगार

बेरोजगार

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माँ बाप के उम्मीदों की

शान उनकी संतान।

ना जाने कितने सपनों

की सच्चाई का आधार

उनकी संतान।।

बुढापे की लाठी सहारा

दर्पण से तारने वाला।

जिंदगी की मेहनत कमाई

संतान को काबिल बनाने

में लगाई ।।


संतानों ने भी माँ बाप के मेहनत

की गाढ़ी कमाई का मोल

दिन रात ईमानदारी से मेहनत

कर चुकाई।।

माँ बाप की दौलत मेहनत

संतानों की पल पल की मशक्कत

मेहनत की कीमत का

कीमती वक्त लाई।।


वाजिब रोजी रोजगार की चाहत चाह

नौकरी की करता नौजवान तलाश।।

नौकरी है तो सिफारिश नहीं 

बिना जुगाड़ के नौकरी नहीं

लेकर डिग्रियों का अम्बार दर दर

घूमता फिरता नौजवान ।।


कहीं काम का अनुभव नहीं आड़े 

काम मिलता ही नहीं तो अनुभव

कहाँ से लाये।।

टीवी अखबार में देखता रोजगार के प्रचार

जाता जब लेकर डिग्रियों के अम्बार

मिल जाता जवाब भाई जो काबिल था उसे

मिला रोजगार ।।


क्या जिन्हें नौकरी नहीं मिलती 

नाकाबिल अंगूठा छाप

कभी कहा था कवि घाघ ने 

निसिद्ध चाकरी भीख निदान।।

अब निषिद्ध से प्रसिद्ध चाकरी

ही जीवन की चाक।

जिस पे घूमते माँ बाप संतानों के

आरजू के अवनि आसमान।।


सरकार के पास सीमित संसाधन

सीमित नौकरियों के अवसर

उसमे भी कोढ़ में खाज आरक्षण।।

कभी कभी तो रोजगार की तलाश

में बेहाल नौजवान भगवान को

ही कर देता शर्मसार क्यों बनाया

ऊँची नस्ल की संतान।।


समाज में उंच नीच के भेद भाव से

सैकड़ों साल रहा राष्ट्र गुलाम।

अब भी गुलामी का एहसास कराती

ऊंच नीच का भेद भाव।।

रोज़गार की तलाश में इधर उधर

भटकता जाता थक हार।

मध्यम वान की बानगी करने

की हिम्मत नहीं जुटा पाता 

व्यापार में पैसे की दरकार पैसा 

है ही नहीं जाए तो जाए कहाँ।।


उत्तम खेती जनसंख्या के बोझ

में बाँट गयी झोपड़ी भी बन सके

इतनी भी नहीं रह गयी।।

माँ बाप की संतानों का अरमान

हताश निराश जिंदगी में सांसों

धड़कन की आश की करता 

तलाश।।

बहुत तो ऐसे भी जो जिंदगी

का ही छोड़ देते साथ ख़ुदग़र्ज़

संतान।।


करें तो क्या करे नीचे अवनि ऊपर

सुना आसमान।

शेष सिर्फ एक विश्वास 

पढ़ा लिखा ऊर्जावान नौजवान।

बी पी एल की छतरी का मोहताज़

सरकार की मेहरबानी निषिद्ध भीख की

जिंदगी घिसती पिसती

के दिन चार।।


मुफ़्त राशन, मुफ़्त मकान ,मुफ़्त शिक्षा,

मुफ़्त है बहुत कुछ लेकिन

जिंदगी भीख मंगो जैसी कटोरा

लिये खड़े है अपनी नम्बर का इंतज़ार।।

क्या होगा भविष्य राष्ट्र का 

जहाँ नौजवान पढ़ा लिखा पास नहीं रोज़ी

रोजकार नहीं नौकरी ना काम ना दाम।।

भीख दया की जिंदगी भय

भ्रम की मोहलत मोहताज।।



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