बेदिल
बेदिल
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बेचैन है मेरा नादान दिल ,
उस बेवफा को पाने को,
जिसके लिए नाजुक दिल,
महज एक खिलौना है,।
ना जाने उस बेदिल को ,
क्या मजा आता है ,
किसी के प्यारे दिल को ,
बेदर्दी से तोड़ देने में,।
ऐसा लगता है उसने अपने सीने में ,
दिल के बदले खंजर छुपा रखा है ,
अच्छे खासे अपने दिल को ,
बंजर बना रखा है,।