STORYMIRROR

Rahul Desai

Children Stories Drama Children

4  

Rahul Desai

Children Stories Drama Children

बचपन

बचपन

1 min
171

वो बचपन भी कितना सुहाना था,

जहाँ रोज़ एक नया फ़साना था। (१)


कागज़ की एक कश्ती थी,

तैरती जिसमे बचपन की मासूमियत थी। (२)


कागज़ का एक जहाज़ था,

उड़ता जिसमे बचपन का एक सपना था। (३)


छोटी सी एक गाड़ी थी,

चलती जिसमे बचपन की एक ख़ुशी थी। (४)


लकड़ी का एक झूला था,

बैठकर जिसपे, आसमान छूने का अरमान था। (५)


सच में, कितने सुंदर वो दिन थे,

जहाँ लड़ने के बाद भी रिश्ते अटूट थे (६)


Rate this content
Log in