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बच्चे में रह सकते हैं

बच्चे में रह सकते हैं

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कई देश,कई मज़हब और कई तहज़ीब

बच्चा इनमें नही रहता

बच्चे में बह सकती हैं

कई नदियाँ, कितनी ही हवाएँ,  कितनी ही बोलियाँ

बच्चा इनमें बहता

सरहदें ये क्या होती हैं

बच्चा लाँघ जाता है

सरहदों की घेराबन्दी

बेख़ौफ़ बाहोश

बच्चे का एक ही मज़हब है

भूख बस भूख

बच्चे की प्यास का एक ही नाम है

सिर्फ ख़ालिस मोहब्बत

बच्चे का देश है

माँ का आँचल

समा जाते हैं जिसमें

कई देश,कितनी ही नदियाँ

उसी आँचल से छनकर आती हैं

जो लाती हैं, गर्मियों में ठंडक

शीत में ऊष्मा

जहाँ वो छक के सोता है

बेहोश और बेख़ौफ़

यही वो ज़गह है

जहाँ सरहदें लाँघ कर

खुलते हैं सारे दरवाज़े एक साथ

@c आरती तिवारी


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