बारिश
बारिश
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उफनते बादलों में तब स्याह रंग ने दी परछाई,
हवाओं ने दिशाएँ बदली, शाखाओं की पाती लहराई,
शुष्क धरा से भी कुछ अनछुई बूंदें तब जा टकराई,
अलसाई बारिश ने जब ली सुबह की मीठी अंगड़ाई।
निष्छल नाव भी गलियों में तैरने को है तैयार,
यौवन के सतरंगी सपने भी चाहें एक बौछार,
भीगते तन की गीली पलकें भी हैं कुछ शरमाई
अलसाई बारिश ने जब ली सुबह की मीठी अंगड़ाई।
सभी अन्नदाताओं की बुझती आशा को किरण मिली,
सौंधी खुशबू से हर घर के आंगन की मिट्टी खिली,
मेघ ने अपने अश्रु बिन्दु से जन मन की है तृषा मिटाई,
अलसाई बारिश ने जब ली सुबह की मीठी अंगड़ाई।