बाल रूप (भगवान)
बाल रूप (भगवान)
भगवान पड़े रो रहे,
कूड़े के ढेर में।
सुनता नहीं कोई उनकी,
ना जन पड़े फेर में।।
चुपके से वो निकलते,
ना आ जाएं घेर में।
परमात्मा वो देखता,
भक्त आये देर में।।
भगवान को उठाया,
बिठाया है गोद में।
भगवान खुश हुए हैं,
जा के भक्त गोद में।।
वो मात थी अभागी,
भगवन ही बाल में।
ना पा ही वो सकेगी,
कृपा प्रसाद में।।
जो कर्म ऐसे करते
मरते जियात में।
हो नर्क मैं बसेरा,
जन्म कीड़ा जात में।।