बाल कविता
बाल कविता
चिड़िया बैठी डाल पर, मधुरम इनके बोल
दाना देती चोंच से, चूजे का मुख खोल।।
गिनती बच्चों ये करो, कितनी चिड़िया आज,
तीन पांच छह सात नौ, सर पर इनके ताज
खुश होकर चीं चीं करें, मिलता जब घर द्वार,
सब मिल कर प्रयत्न करें, घटे नहीं परिवार
बच्चे खुश हो खेलते, घूमें नाचें गोल ।।
दाना देती चोंच से .....
पेड़ों पर है घोंसला, ममता की जब छाँव,
पंख हुये मजबूत जो, होगा दूजा ठाँव।
माता दाने के लिये, चली नदी के पार,
देख बाज को वो डरे, करता रहा शिकार।
बच्चों रखवाली करो, तुम दरवाज़ा खोल
दाना देती चोंच से.....
पंछी होते लुप्त अब, बन रहे मेहमान
नहीं उजाड़ो घोंसला, रखना होगा ध्यान
इस प्रजाति के साथ भी पूरा होगा न्याय
इनकी रक्षा का करें, मिल कर सभी उपाय।
मीठी वाणी भोर में सदा रही अनमोल,
दाना देती चोंच से .....
