औरत एक संघर्ष
औरत एक संघर्ष
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बाबुल की दहलीज़ पार कर,
पिया की दहलीज़ तक जाना,
बस इन दो जगहों के बीच ही
औरत की पूरी जिन्दगी निकल
जाती है।
हर एक रिश्ते को
कर्तव्य से निभाना,
दोनो घरों का मान रखना,
पर खुद के लिये ना जी पाना।।
इन दो दहलीज़ के बीच कब
जीने की उम्र निकाल जाती है।
उसे पता ही नहीं चल पाता ।।
