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अनंत इंतेज़ार.

अनंत इंतेज़ार.

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हैं दिल को

ख़ुद के यकीं पर...

पूरा यकीन...

कि भले ही

हो जाऐ ज़ुल्मों-सितम की हद

या फिर आ ही जाऐ

क़यामत...

 

पर,

ये हो नहीं सकता

किसी भी तरह कि

न आये 'कल्कि अवतार'

खड़ा 'कलयुग'

सिर्फ़ एक ही टाँग पर

कर रहा अनवरत

उसका ही इंतेज़ार...

 

देखकर उसका

ये कठोर तप

ये मौन साधना

हम भी खड़े उसके साथ

समय के इस पार...

कर रहे पुकार...

अब तो आ जाओ तारणहार ।।

 


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