सेरोगेट मदर’
सेरोगेट मदर’
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‘सेरोगेट मदर’
मानव का सृजन
जब से करने लगा मानव
किराये की कोख भी
तब से बेचने लगा मानव
भरकर परखनली में
मानव बनाने का फार्मूला
करने उसको परिपक्व
किसी मजबूर को खरीद डाला
न जाने किस हालत
और व्यवस्था ने एक नारी को
इतना बेबस कर दिया कि
उसने बेच दिया अपनी ममता को
सारा दर्द सारी पीड़ा सहकर
एक उम्मीद को उसने जनम दिया
जिसे किसी और ने अपना कहा
और उसे आंचल सूना मिला
बनकर भी 'माँ' वो
कहलाई गई 'सेरोगेट मदर'
एक खरीदी हुई जननी
जिसकी पहचान भी रही गुप्त
कैसी विडंबना हैं ये ???
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