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एक ख्याल

एक ख्याल

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एक उम्र बीत गई

राह तकते कि

कभी तो महसूस करोगे

तुम कमी मेरी 

लेकिन....

न जाने किसने आकर

तुम्हारे जीवन के रिक्त पलों को

अपने अहसास से भर दिया

और... मैं...

इसी गुमाँ में बैठी रही कि

मेरी जगह कोई नहीं ले सकता

मैं कोई शब्द थोड़े न

कि जिसके पर्याय से ही

खाना पूर्ति हो जाऐ

 


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